डायरी आलेख/समाचार
- विवरण.
- द्वारा लिखित.
- श्रेणी:आलेख/समाचार.
- हिट्स:32.
मुरैना 28 दिसम्बर 2020 , ग्वालियर टाइम्स कार्यालय । मुरैना नगर निगम , कहने को तो नगर निगम है , मगर नगर निगम जैसा यहां कुछ भी नहीं , शहर मानों एक छोटा सा गांव और ग्राम पंचायतों जैसा माहौल और आबो हवा । गांवों में कम से कम प्रदूषण को बाहर निकालने के लिये एक स्वच्छंद वातावरण रहता है , मगर मुरैना शहर में प्रदूषण फैलाने वाले तो बहुतेरे सैकड़ों हैं मगर इसके निस्तारण का कोई भी इंतजाम नहीं ।
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनंद''
( लेखक सन 2001 से भारत सरकार की एन जी सी - नेशनल ग्रीन कोर्प्स के तहत मुरैना जिला पर्यावरण क्रियान्वयन एवं पर्यवेक्षण समिति - अध्यक्ष कलेक्टर मुरैना का सदस्य व संचालन समिति का प्रभारी है )
यूं तो पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत भी , नगर पालिका (नगर निगम) अधिनियम के तहत भी और मानव अधिकार अधिनियम संरक्षण अधिनियम के तहत भी , इसके अलावा एक ऐलान जो नगर निगम मुरैना द्वारा रोजाना किया जा रहा था कि ..... सम्मानीय उपभोक्ताओं ...... अगर इसे मान लें तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत भी , शहर में चारों प्रकार के प्रदूषण या इनमें से किसी भी एक प्रकार का प्रदूषण फैलाना केवल अपराध ही नहीं बल्कि नगर निगम द्वारा और जिला प्रशासन द्वारा तुरंत व तत्काल निराकरण किया जाना चाहिये अन्यथा इसमें न्यायालय सम्यक आदेश व प्रभावितों व पीड़ितों को हर्जाना जुर्माना देने का आदेश देगा।
शहर में सबसे बड़ा प्रदूषण जमीन पर सूखे व गीले कचरे का भी है , तो जल निकासी मल निकासी सहित पेयजल के अस्वच्छ व प्रदूषित वाटर सप्लाई का भी है ।
वायु प्रदूषण में सबसे खतरनाक और जहरीला प्रदूषण शहर में फैल रहे रोजाना ही सुबह शाम के धुंयें ( गंदे व प्रदूषित ) का है । यह मसला कोई नया नहीं , बल्कि बरसों पुराना है ।
शहर में आ बसे तमाम खेत विहीन कृषि मजदूर रोजी रोटी के लिये तमाम अवसर खोजने हेतु गरीबी की मार के शिकार तो हैं हीं , किसी न किसी भांति किसी रिश्तेदार के चरण चुंबन कर रहने का आशियाना तो जैसे तैसे या फिर शहर के आसपास बना बसा लिये हैं , मगर उनका सोशो इकानामिक स्तर व दर्जा अभी भी उसी निम्नतम स्तर पर है और इधर उधर से लकड़ियां तथा अन्य चीजें चोरी चकारी करके वे अपनी गुजर बसर जैसे तैसे करते हैं , उनके पास खाना पीना बनाने खाने या पशुओं के लिये चारा तैयार करने के लिये एक गैस कनेक्शन तो बहुत दूर की बात , एक स्टोव या कोयले की अंगीठी तक नहीं है , या कहिये कि कोयला या मिट्टी का तेल खरीदने तक के पैसे नहीं है ।
ऐसे लोग सुबह शाम चोरी की गंदे पेड़ पौधों की लकड़ीयां चुराकर चूल्हा और बरोसी जलाते हैं , जिसका प्रदूषित व जहरीला धुंआं सारे मोहल्ले और सारे वायुमंडल में फैलता है । इसके अलावा नकली दवायें सप्लाई करने वाले मेडिकल रिप्रजेंटेटिव और एक्सपायरी डेट की दवायें रखने वाले एम आर उन दवाओं की लंबी चौड़ी खेप रोजाना ही मोहल्ले में जलाते हैं जिससे प्रदूषित धुंआ सारे ही वायुमंडल को अपने कब्जे में लेकर चारों और मोहल्ले में पसरा रहता है , इसके अलावा कुछ अवैध वाहन और बसें, र्टेक्टर तथा पर्यावरण का सर्टीफिकेट लिये बगैर मोहल्ले में चक्कर लगाते और लेड ( सीसा युक्त ) जहरीला धुंआं मोहल्ले में फैलाते रहते हैं ।
कुछ आपत्तिजनक व्यावसायिक गतिविधियां मसलन , लकड़ी लोहे का फर्नीचर का काम जो कि रहवासी कालोनियों और मोहल्लों में प्रतिबंधित है , आरी रंदा आदि चलाकर ध्वनि प्रदूषण सहित वातावरण में रजकणों ( डस्ट पार्टीकल्स ) उगलते रहते हैं ।
स्पष्टत: मोहल्ले के रहवासियों में इनकी वजह से तमाम बीमारीयां , संक्रामक बीमारीयां , श्वास लेने में तकलीफ , दमा , अस्थमा , फेंफड़ों के संक्रमण , किडनी संक्रमण और डेमेज जेसी तमाम बीमारीयों के साथ , ध्वनि प्रदूषण से कानों एवं मस्तिष्क से संबंधित तमाम विकार , अवसाद और हृदय रोगों , ब्लड प्रेशर जैसे तमाम रोगों से नित्य ही ग्रस्त होना पड़ता है तथा खांसी एवं फ्लू् जैसे तमाम रोगों का शिकार होना पड़ रहा है ।
गांधी कालोनी मुरैना यूं तो मुरैना शहर की सबसे पॉश कालोनी और शहर के ऐन बींचोंबीच स्थित है , मगर कतिपय नये निवासियों के कारण अब इसे पॉश कालोनी तो नहीं कहा जा सकता , लेकिन तमाम लोग इन हीं प्रदूषणों के कारण मौत के आगोश में जा चुके हैं , जिसकी फेहरिस्त काफी लंबी है ।
मेरे खुद के माता पिता जब तक जीवित रहे इन्हीं प्रदूषणों के शिकार रहे , और उन्हें सांस लेने में तकलीफ के साथ , खांसी और जल प्रदूषण ने शिकार बनाकर परेशान व तंग रखा , खांसी का मेरी मां का अंतिम दम तक इलाज चला मगर गांधी कालोनी में फैला जहरीला धुंआं उस खांसी को कभी ठीक नहीं होने देता था , अंतत: मां उसी खांसी और उसी जहरीले ध्रुंये का शिकार हो गयी और उसी से उसका स्वर्गवास हो गया । अभी पिता ने भी जब इसी महीने अंतिम सांस ली तो उन्हें भी मुरैना की गांधी कालोनी के धुंये ने मरते दम तक परेशान किया , उन्हें भी सांस लेने में बरसों से यहां तकलीफ होती थी , दम घुटता रहता था , सुबह शाम फैलता धुंआं ऊपर की मंजिल पर बहुत आसानी से पहुंचता और उन्हें परेशान रखता था , प्रदूषित अस्वच्छ और पीने के गंदे पानी ने न केवल उनका डायजेशन सिस्टम ही घ्वस्त किया बल्कि पूरी तरह से किडनी ही डेमेज कर दीं ।
ग्वालियर में उनके मृत्युकाल में जब यह सब जांचें हुईं तो टेस्ट रिपोर्टों ने सारी असलियत खोल कर रख दी , कुल मिलाकर मुरैना की गांधी कालोनी के चारों प्रदूषणों ने उनकी जान ले ली , या दूसरे शब्दों में कहें तो हत्या कर दी ।
हालांकि यह सब हम अपनी पर्यावरण समिति की बैठक में उठाते और इसका स्थाई समाधान भी कर देते , मगर अफसोस एक जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा करीब पर्यावरण समित में करीब 70-80 लाख का फर्जीवाड़ा और घोटाला कर दिया , उसके बाद से 30 मई सन 2002 के बाद इस पर्यावरण समिति की कोई भी अनिवार्य तिमाही बैठक ही नहीं हुई इसलिये इस मुद्दे को सार्वजनिक मंच पर लाना और उठाना अनिवार्य हो गया है , जिससे आम जनता और जिम्मेदार प्रशासनिक अफसर और नेता तथा नगरनिगम इसे जान सके , पहचान सके और इसका स्थाई निराकरण कर सके ।
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राज्य निर्वाचन आयुक्त श्री बसंत प्रताप सिंह ने जानकारी दी है कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा वर्तमान परिस्थितियों का आकलन करने के बाद यह पाया गया है कि कोविड-19 के संक्रमण में निरंतर वृद्धि तथा जन-स्वास्थ्य सुरक्षा के दृष्टिगत स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन प्रक्रिया सम्पादित किये जाने की स्थिति वर्तमान में नहीं है। अत: भारत के संविधान के अनुच्छेद 243-K एवं 243-ZA में प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए नगरीय निकायों के माह दिसम्बर-2020 एवं जनवरी-2021 में प्रस्तावित आम निर्वाचन, नगर परिषद नरवर जिला शिवपुरी को छोड़कर (माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार), 20 फरवरी 2021 के बाद कराये जायेंगे।
इसी तरह इन्हीं परिस्थितियों के मद्देनजर त्रि-स्तरीय पंचायतों के माह दिसम्बर-2020 एवं जनवरी-2021 में प्रस्तावित आम निर्वाचन माह फरवरी-2021 के बाद कराये जायेंगे।
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कृषि कानूनों को लेकर किसानों और केंद्र सरकार में गतिरोध जारी है. किसान जहां अपनी मांगों पर अड़े हैं तो वहीं सरकार भी साफ कर चुकी है कि कानून किसी भी कीमत पर वापस नहीं होगा. दिल्ली बॉर्डर पर 20 दिनों से डेरा डाले किसानों और सरकार की इस जंग में बुधवार का दिन अहम हो सकता है, क्योंकि बॉर्डर पर किसान टिकेंगे या उन्हें कहीं और भेजा जाएगा, इसपर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.
दरअसल, कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर हो रहे किसानों के आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. कोर्ट बुधवार को मामले की सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी अब तक तीन याचिकाएं दाखिल की गई हैं.
याचिका में दिल्ली बॉर्डर से किसानों को हटाने की मांग की गई है. कहा गया है कि लोगों के इकट्ठा होने से कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ेगा. याचिका में आगे कहा गया कि लोगों को हटाना आवश्यक है, क्योंकि इससे सड़कें ब्लॉक हो रही हैं. इमरजेंसी और मेडिकल सर्विस भी बाधित हो रही है.
यह याचिका कानून की पढ़ाई कर रहे ऋषभ शर्मा ने दायर की है. अर्जी में आगे कहा गया कि प्रदर्शनकारियों को सरकार द्वारा आवंटित तय स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए. प्रदर्शन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
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मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने रात में मारा बिजली घर पर छापा
ट्रिपिंग क्यों हुई और कितनी देर के लिए हुई ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने यह जानकारी रात 8:00 बजे विद्यानगर सब स्टेशन के औचक निरीक्षण के दौरान ली। उन्होंने विद्युत सब स्टेशन रेत घाट और लालघाटी का भी रात 9:00 बजे निरीक्षण किया।
श्री तोमर ने विद्युत सब स्टेशन में कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए जरूरी सामग्री उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सब स्टेशन में प्रकाश की समुचित व्यवस्था करने के साथ ही अन्य सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराया जाए। श्री तोमर ने कहा कि अधिकारी सभी स्टेशनों का नियमित निरीक्षण करें। श्री तोमर ने विद्या नगर स्टेशन और रेत घाट स्टेशन में प्राप्त शिकायत और उनके निराकरण की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने बिजली सुधारने के लिए उपयोग किए जा रहे वाहनों का भी निरीक्षण किया। श्री तोमर ने कहा कि इन वाहनों में मजबूत सीढ़ी के साथ दस्ताने और सुरक्षा के उपकरण होने चाहिए।
ऊर्जा मंत्री ने सब स्टेशन में पड़ी अनुपयोगी सामग्री को राईट ऑफ करने के निर्देश भी दिए। रेत घाट में एक खराब बाहन खड़ा है। श्री तोमर इसे हटाने के निर्देश दिये।
ऊर्जा मंत्री ने घर जाकर उपभोक्ताओं से की चर्चा
ऊर्जा मंत्री श्री तोमर ने विद्या नगर में विद्युत उपभोक्ता श्री शर्मा के घर जाकर विद्युत सेवाओं के संबंध में जानकारी ली। श्री शर्मा ने विद्युत सेवाओं पर संतुष्टि व्यक्त की। श्री तोमर ने विद्या मेडिकल स्टोर संचालक से भी चर्चा की। उन्होंने बिजली आपूर्ति और बिजली बिल के संबंध में जानकारी ली। इस दौरान मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के चीफ इंजीनियर एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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- श्रेणी:आलेख/समाचार.
- हिट्स:54.
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 30 नवंबर रात को जनता को संदेश देते हुये आनलाइन व इलेक्ट्रानिक मीडिया से रूबरू होकर कहा कि अब नहीं अंधेरगर्दी चलेगी औरन जनता को और किसानों को दुखी व परेशान होने दिया जायेगा ।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सीएम हेल्पलाइन योजना एक बार फिर प्रभावी तरीके से शुरू की जाएगी। इस योजना को पिछली कमलनाथ सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया था। इसके अलावा मुख्यमंत्री समाधान ऑनलाइन योजना भी फिर से शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि दोनों योजनाओं की मॉनिटरिंग मैं स्वयं करूंगा। इसके साथ ही जिलों व गांवों की जनता की समस्याएं जानने और योजनाओं की जमीनी हकीकत पता करने औचक निरीक्षण भी करूंगा।
मुख्यमंत्री ने रात 8 बजे प्रदेश की जनता के नाम संदेश दिया। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय कृषि बिल, किसानों की योजनाओं, कोरोना संक्रमण की स्थिति और मिलावट पर कसावट अभियान को लेकर जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय कृषि बिल को किसानों के हित में बताते हुए विपक्ष पर कटाक्ष भी किया। उन्होंने कहा कि नए कानून में किसानों को फसल बेचने की स्वतंत्रता दी गई है। वह अपनी फसल चाहे तो मंडी में बेच सकता है या फिर बाहर। किसान को फसल का ज्यादा दाम मिलता है तो किसी को तकलीफ क्यों? यदि व्यापारी ज्यादा से ज्यादा फसल खरीदना चाहता है तो लिमिट क्यों लगे? मुख्यमंत्री ने बताया कि 3 दिसंबर को प्रदेश के 5 लाख किसानों के खाते में सम्मान निधि की राशि ट्रांसफर की जाएगी।
सर्दी के साथ बढ़ता है कोरोना संक्रमण
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के कुछ जिलों में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रतलाम और धार जिले में विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। सरकार के स्तर पर हर संभव प्रयास किए जा रहे। कई जिलों में कंटेनमेंट एरिया फिर से बनाए गए है। सर्दी के साथ यह संक्रमण बढ़ता है। ऐसे में ज्यादा एहतियात बरतें।
दुष्टों के लिए वज्र से कठोर है सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन देना मेरी सरकार की प्राथमिकता है। आमजन के लिए फूल से भी कोमल और दुष्टों के लिए वज्र से भी कठोर है मेरी सरकार। उन्होंने कहा कि गुंडे-बदमाश, सट्टेबाज और अड़ीबाजों को छोड़ा नहीं जाएगा।
मिलावटखोरों को नहीं छोड़ेंगे
पिछले एक माह से चल रहे मिलावट पर कसावट अभियान को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निरंतर जारी रहेगा। आम लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं है। ऐसे माफियाओं पर प्रभावी तरीके से कार्यवाही की जाएगी।
धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम का ड्राफ्ट तैयार
मुख्यमंत्री ने बताया कि धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 का ड्राफ्ट तैयार हो गया है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस बिल को पारित कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि बेटियों को बहला फुसला कर शादी कर धर्मांतरण कर कुचक्र चलता है। हम बेटियों को नरक में नहीं जाने देंगे। इसके लिए बिल में सख्त प्रावधान किए गए हैं।
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- हिट्स:40.
- नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
( सुफल मटर सस्ती है बाजार में - छिली हुई ताजी मटर 40 रूपये की आधा किलो यानि 80 रू की एक किलो है )
मुरैना/ दतिया/ ग्वालियर/भिंंड / श्योपुर , सरकारें जनता को अच्छी खबर देतीं सुनातीं आईं हैं यह एक परंपरा है , और अच्छे दिन का सपना और वायदा वोट की कीमत में बेचतीं आईं हैं , यह एक रिवाज है ।
जब सोने के दाम में प्रति दस ग्राम ( बाजारू एक तोला दस ग्राम का और पुराना पारंपरिक देश में प्रचलित एक तोला 12 ग्राम का होता है , जब से होलोग्राम वाले आये हैं तब से दो तोला होलोग्राम खा जाता है और यह तोला दस ग्राम का रह जाता है ) के वजन में एक हजार या 500 रू की कमी हो तो मीडिया की सुर्खी बन कर खबर बन जाती है और फ्रंट पेज हेडलाइन होती है , सोने के दामों में जबरदस्त धमाकेदार कमी ,गोया आम आदमी या हर अखबार पढ़ने वाला केवल सोना खरीदने और सोने के दाम पता करने के लिये ही अखबार खरीदता और पढ़ता है ।
चंद प्रतिष्ठित मीडिया को अपवादस्वरूप अगर छोड़ दें तो बाकी बकाया मीडिया को यह पता ही नहीं कि हर अखबार खरीदने पढ़ने वाला साग सब्जी और रोटी तो जरूर ही खाता है ।
साग सब्जी रोटी हर आदमी जन्म से लेकर मरने तक संग संग ढोता खाता है , अपने संग बंधे चिपके और आश्रित परिवार वालों के पेट के लिये , जब वह जन्म के समय पेट साथ लेकर आता है और मरने तक इसी पेट को संग लिये घूमता है , तब तक कोई इसे मेहनत और ईमानदारी की ईंधन की खुराक डाल कर देह की गाड़ी चलाता है , भले ही उसकी स्पीड 500 मीटर प्रति घंटा हो या बेईमानी, रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार ए दो नंबर , चार नंबर की औंधी सीधी कमाई का आलीशान मंहगा एयर पेट्रोल का ईंधन भर कर शताब्दी की स्पीड 140 किलो मीटर प्रतिघंटा या हवाई जहाज की स्पीड 600 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से इस नामुराद देह की गाड़ी चलाता या उड़ाता हो ।
बहरहाल ये साफ है कि जैसे हर स्कूटर मोटर सायकल वाले को पैदल चलता आदमी ओछा और छोटा तुच्छ गरीब इंसानी कीड़ा मकोड़ा नजर आता है तो हर कार वाले को स्कूटर मोटर सायकल वाले भी ऐसे ही नजर आते हैं , तो हर और बड़ी गाड़ीयों वालों जैसे बी एम डब्ल्यू, राल्स रायस या एम्पाला वालों को ये कारों वाले भी बड़े तुच्छ और ओछे छोटे कीड़े मकोड़े नजर आते हैं । क्या करिये इंसान की फितरत ही यही है , ग्वालियर के किले पर सास बहू यानि कि सहसबाहू के मंदिर से नीचे देखेंगे तो पूरा ग्वालियर ही , सब ई एम डब्ल्यू , बी एम डब्ल्यू , रेल गाड़ी अताब्दी शताब्दी , राजधानी वगैरह सब के सब ही रेंगते हुये छोटे मोटे तुच्छ और ओछे कीड़े मकोड़े नजर आने लगते हैं , यह फितरत नहीं , हकीकत है , दृष्टिकोण और दृष्टि युक्तिकरण है । और ऊपर लिखे बाकी सब इंसानी अहंकारी फितरत के दृष्टिभ्रम हैं ।
बिल्कुल कुछ ऐसा ही है , मीडिया भी एक दृष्टिभ्रम में रहता और चलता है , और जहां तक संभव हो यथार्थ व सचाई के धरातल से बचता है , वरना सच लिखने का कहने का ( नेता भी इसमें शामिल समझिये) अंजाम यह होगा कि जिनका सच कहा बोला लिखा जाये उनके पास तो फूटी छदाम नहीं है देने को और जो दे सकते हैं या जिनकी कृपा से या वरद हस्त से मीडिया चलता है या विज्ञापन वगैरह या बिना विज्ञापन दो नंबर में कुछ मिल मिलू जाता है वही लोग इस देश का असत्य हैं , गलत काम करने वाले , भ्रष्ट बेईमान और रिश्वतखोर हैं , अब उनकी कृपा ओर पैसे से से ही मीडिया चलना है । तो गरीब आम आदमी तब जाकर एक छपा अखबार या टी वी चैनल पर कुछ खबर पढ़ या देख पाता है । सो मीडिया भी साग सब्जी के दामों की आवाज उठाने के बजाय सोने के ही दाम बतायेगा जिसे आम गरीब आदमी देख सुन तो ले और अखबार या चैनल को बहुत बड़ा माने और समझे , चमक दमक दीखे भले ही सारे कपड़े उतार कर दीखे मगर चमचमाती चीज दीखे , चकाचौंध में आखें चौंधिया जायें तो और देखने पढ़ने वाला बाकी सब गम , परेशानियां और समस्यायें बिसरा दे और ध्यान भूल कर सोने के दामों को राष्ट्रीय चर्चा व महत्व का विषय समझे ।
अगर साग सब्जी जैसे मसले और चीजें टी वी चैनल पर या अखबारों में देखने पढ़ने को मिलेंगी तो चमक दमक का खेल खत्म हो जायेगा और ओछी व तुच्छ चीजें नेशनल लेवल पर दिखने लगेंगी और राष्ट्रीय चर्चा , महत्व और प्रोटेस्ट का आधार बन जायेंगी , दाम यकायक गिरकर बाबाज के लंगोट के माफिक कम और कम होते जाकर ऐसे धड़ाम से गिरेंगें जैसे लंगोट की पट्टी अचानक से खुल कर बिकनी की तरह फस्स् और सररर करती खिसक गई हो । गोया किसान से खरीदी कोई चीज पांच रूपया प्रति किलों केवल दह रूपये प्रतिकिलो के दाम पर आ जायेगी ।
मतलब ये कि जब बेचने वाला ही एक रूपये प्रतिकिलो के मुनाफे पर धंधा करेगा तो , बाकी दल्ले , नेता , अफसर , और लग्गा तग्गा मसलन मीडिया और .... वगैरह वगैरह कहां से पलेंगें , कहां से खायेंगें । उसी चीज को जब पचास रू प्रतिकिलो बेचा जायेगा तो बेचने वाले को भी पांच रू मुनाफे के और बाद बाकी , चुनाव टाइम पर नेताओं और पार्टीयों को चंदा , मंडी में दूकान या ठेला लगाने की रोजाना की नगरनिगम या नगरपालिका की रोजनदारी वसूली , पुलिस वाले बीट प्रभारी का लेन देन, और बीच बीच में बीट प्रभारी के बजाय फीती लगाये आ जाने वाले सिपहिया , जब तब पत्रकार और न जाने कितनों के हिसाब किताब के बाद अगर पांच रू प्रति किलो किसान से खरीदी चीज कोल्ड स्टोरेज में डाल कर बी एच सी यानि बैंजीन हैक्सा क्लोराइड और मैलाथियान तथा भैंस का इजेक्शन लगाकर लंबी मोटी कर बढ़ाई गईं सब्जियां जैसे लौकी , तोरई , कद्दू , बैंगन , खीरा और सेम आदि इन सबके खर्चों को निकाल कर अपने आप ही दाम उस पांच रू का पचास रू हो ही जाता है ।
मतलब साफ है ,कोल्ड स्टोरेज किसान को भी खा रहे और लूट रहे हैं तो जनता यानि आम आदमी को भी । एक बार मुरैना में हजारों टन आलू कोल्ड स्टोरेजों को बाहर सड़क पर यानि हाई वे पर फेंकना पड़ा था , ऐसा तब हुआ जब नया आलू किसान ले आया और वह कोल्उ स्टोरेज वाले आलू से पच्चीस गुना सस्ता था । लिहाजा कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने वाले व्यापारियों ने कोल्ड स्टोरेजों का मासिक किराया देना बंद कर दिया और नया माल ( आलू ) खरीद कर कोल्ड स्टोरेज ले जाना शुरू कर दिया ,बाजार में उस समय आम आदमी को कोल्ड स्टोरेज वाला आलू चालीस से पैंतीस रू प्रति किलो बेचा जा रहा था , मगर किसान का नया आलू मंडी में पांच रू प्रतिकिलो और मोहल्लों घरों में वह आठ रूपये और सात रू प्रतिकिलों के दाम पर हाथठेले वालों द्वारा बेचा जाने लगा तो , ऐसी सूरत में वही चालीस पैंतीस रू प्रतिकिलो वाला कीटनाशक दवायें मिला हुआ हजारों टन आलू सड़कों पर फेंकना पड़ा ।
उक्त घटनाक्रम से जाना जा सकता है कि सिस्टम में दोष कहां पर है , अलबत्ता कोल्ड स्टोरेजों की स्थापना इसलिये की गई थी कि किसान अपना माल यानि फसल उसमें रख सके और साल भर साग सब्जी आम जनता को हर मौसम में मिल सके , इसलिये नहीं कि दलाल , व्यापारी और विक्रेता , किसी किसान से सस्ते में माल खरीद कर सालभर मुनाफाखोरी , ब्लेकमार्केटिंग के लिये जमाखोरी कर सकें ।
किसी किसान ने अपना माल कोल्डस्टोरेज में रखा होता तो न कभी साग सब्जी के दाम बढ़ते और किसान आज तक इतना गरीब , परेशान और मजबूर व लाचार ही नहीं होता । सरकार अगर मंडी में फसल खरीदने और तुलाई के लिये किसानों का पंजीयन कर एस एम एस से नंबर लगवाती है कि केवल किसान ही बेच पाये अन्य कोई दलाल या व्यापारी नहीं ,तो फिर कोल्ड स्टोरेजों और बेयर हाउसों के लिये केवल किसान ही इनमें अपनी फसल की उपज रख सके , यह अनिवार्य क्यों नहीं करती , किसानों की भी समस्या हल होकर परेशानी खत्म हो जायेगी , किसानों के खाते की फसल की मेहनत की , लागत की मुनाफे की समस्या ही समाप्त हो जायेगी और आम जनता को भी पांच रू की चीज पचास रू प्रतिकिलो में लेने की फर्जी व कृत्रिम मंहगाई से हमेशा के लिये मुक्ति मिल जायेगी , किसान भी चैन से अपना परिवार पाल सकेगा और दो रोटी शान व इज्जत से खा सकेगा और आम आदमी भी जो आज केवल साग सब्जी के दाम पूछ कर मन मसोस कर लाचार होकर रह जाता है और देशी घी की तरह सब्जी वाले के ठेले के दर्शन कर पाव भर , या आधा किलो एकाध चीज कभी कभार खरीद कर रह जाता है और हर चुनाव के बाद हर सरकार से आस लगाता है कि अब दाम कम हो जायेंगें और हम चैन से ख पी सकेंगें ।
सरकारी साग रोटी खा रहे नेताओं और अफसरों को यह सारी बातें समझ नहीं जायेंगीं क्योंकि उनका समझदानी का लेवल हाई ( गोल्ड यानि सोने के लेवल ) रहता है और ये साग सब्जी , आम आदमी वगैरह जरा लो लेवल की बातें हैं , सड़क पर पैदल चलने वाले लोगों के लेवल की बातें हैं ।
दूसरी भाषा में कहें तो ..... रोजाना खपत होने वाली चीजों को नकदी की यानि रोजाना मुनाफा देने वाली चीजें कहा जाता है , मसलन ... माचिस , नमक , साग सब्जी , तेल , दाल , मसाले ( हर कोई नहीं डालता) आदि रोजाना बिकने , खपत होने वाली चीजें हैं और हर आदमी के इस्तेमाल की चीजें हैं , अगर यही आम आदमी से दूर हो गयीं और बेतहाशा बेलगाम मंहगीं इसी तरह ही रहीं और होतीं रहीं तो ...... भई हम तो इसी तरह लिखते रहेंगें , और ग्वालियर टाइम्स इसी तरह प्रकाशित प्रसारित करती रहेगी ।
- विवरण.
- द्वारा लिखित.
- श्रेणी:आलेख/समाचार.
- हिट्स:59.
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनंद''
अहमद पटेल के निधन से जहां कांग्रेस को एक अहम व खासी क्षति हुई है तो वहीं म प्र. कांग्रेस में उपचुनाव का उत्तर कांड शुरू हो चुका है , नेताओं में जंग छिड़ चुकी है , अस्तित्व और अस्मिता के साथ वर्चस्व की लड़ाई है , जिलाध्यक्ष की हैसियत और ताकत व औकात बताने में जिलाध्यक्ष जुटे हैं , बरसों बरस से अपराजेय और कांग्रेस की जड़ों में दशकों से अपना खून सींच रहे और दिग्विजय सिंह सरकार से लेकर कमलनाथ सरकार तक में मंत्री रहे , डॉ गोविन्द सिंह को भिंड के जिलाध्यक्ष जय श्रीराम बघेल ने कांग्रेस से निकाले जाने की मांग का प्रस्ताव पारित कर दिया है तो वही बाकी जिला कांग्रेस कमेटी भिंड ने जिला उपाध्यक्ष से लेकर कार्यकर्ताओं तक सभी ने जिलाध्यक्ष जय श्रीराम बघेल के बयान का खंडन कर दिया है और कहा है कि मेहगांव में कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे की हार की समीक्षा अवश्य की गयी है और वहां न तो कोई भी प्रस्ताव पारित किया गया और न डॉ गोविंद सिंह की भूमिका पर कोई चर्चा वहां हुई ।
कांग्रेस की सियासी रंगत म प्र. में नजर आने लगी है ।
जय श्रीराम बघेल उस समय के कांग्रेस अध्यक्ष हैं जब ग्वालियर चम्बल में कांग्रेस अध्यक्षों की नियुक्तियां केवल और केवल मात्र सिंधिया जी के चमचों की ही हुआ करतीं थीं । बेशक इसी को यूं कहा जा सकता है कि कांग्रेस में सिंधिया जी की बी टीम सदस्य हैं जय श्री राम बघेल ।
बेशक ही हमें व्यक्तिगत काफी जिल्लत और परेशानी उठानी पड़ी थी कांग्रेस ( कमलनाथ) सरकार के समूचे कार्यकाल में , और शायद हमसे ज्यादा दोयम दर्जे का बर्ताव और व्यवहार इस कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में किसी और से हुआ भी नहीं होगा तथा हमारे पूरे जीवन काल में ऐसे बुरे दिन हमने कभी देखे भी नहीं ।
बेशक हम कमलनाथ सरकार के खिलाफ ही रहे और उन दिनों के अनुभव के चलते रहेंगें भी । मगर सवाल यह है कि अगर हम यह मान भी लें कि उस समय सिंधिया की वजह से हमारे साथ गलत हो रहा था और सिंधिया हावी थे , तो अब क्या बात हुई कि अब जब सिंधिया कांग्रेस में नहीं हैं और फिर भी कांग्रेस के टिकिट गलत बंट गये , बिल्कुल उसी तरह जैसे पहले बंटते थे । अब कौन सिंधिया है कांग्रेस में , अब कौन टिकट बेच गया कांग्रेस के ।
अब कैसे विश्वास किया जाये कि कांग्रेस ठीक और दुरूस्त हो गयी है या हो रही है , जब तवा गरम देख कर अपनी अपनी रोटी सेंकने की कोशिश हो रही है ।
कांग्रेस में ठाकुरों को तो बुरी तरह से ग्वालियर चम्बल में ठिकाने पहले से ही लगा दिया गया है । और अब गोविंद सिंह को भी पटकने की कोशिश की जा रही है जो कि इस समय चम्बल और ग्वालियर में कांग्रेस के एकमात्र प्रभावी ठाकुर नेता , हालांकि डॉ गोविंद सिंह ने कहा है कि कांग्रेस जिलाध्यक्ष जय श्रीराम बघेल बहुत बड़े नेता हैं , वे कुछ भी कर सकते हैं , वे कांग्रेस से निकाल भी सकते हैं । मैं एक छोटा मोटा कांग्रेसी हूं , वे मुझे कुछ भी सजा सुना सकते हैं ।
बचे हैं , तो इसे क्या कांग्रेस के ताबूत में अंतिम कील ठोकना माना जाये वह भी उस सूरत में जबकि सब जानते हैं , ग्वालियर चम्बल राजपूताना बेल्ट है और बगैर राजपूतों के यहां किसी भी राजनैतिक दल की दाल नहीं गल सकती ।
यही एक वजह है कि राजपूतों का झुकाव अपने आप ही भाजपा के केन्द्रीय मंत्री और मुरैना सांसद नरेन्द्र सिंह तोमर की ओर हो गया और कभी कांग्रेस का गढ़ रहा ( स्व अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में ) आज वही ग्वालियर चम्बल भाजपा का गढ़ बन गया ...... सोचो प्यारे जरा दिल से और दिमाग से , सोचोगे तो सब समझ आ जायेगा , वरना मुर्दो को चोट नहीं लगा करती
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- श्रेणी:आलेख/समाचार.
- हिट्स:207.

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